१) ख्वाबों के बोझ से कुचले
आसमां में उडान का सबब
धरती पर गिरा वो लहूलुहान परिंदा बता गया...
२) उसे कोई त्याग की प्रतिमूर्ति कहता था,
कोई महान, तो कोई देवी... सुना है वो कल रात
गुज़र गई, पर जीते जी किसी ने उसे इन्सान नहीं समझा....
३) याद है उस रात तुमने मेरे तकिये के नीचे
कुछ अध् खिले सपने छिपाए थे, सुबह जब
आँख खुली तो उनकी खुशबू से मेरा कमरा महका हुआ था...
४) जब भी तुम घर आये, तुम्हारे चहरे को
डायरी में दर्ज किया, आज डायरी के पन्ने
पलटे तो देखा तुम्हारा सुर्ख चेहरा ज़र्द पड़ा था....
५) तुम तो कुछ भी नहीं भूलते थे ना..
कल सामने से यूँ निकले जैसे कभी देखा न हो,
शायद यादों के दरख़्त पर धूल जम आई होगी....
६) उस चहरे से मासूमियत झलकती थी,
कल देखा तो उस पर अनगिनत खरोंचे थीं,
हवाएं जहाँ से गुजरती है अपने निशां छोड़ जाती हैं...
७) उस अछूत के घर रोशनी कम ही आती थी
पर कुछ दिनों से उसका घर गुलज़ार है,
सुना है, सरकार ने सूरज की रोशनी पर भी 'कोटा' लगा दिया है......
टिप्पणियाँ