सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जनवरी, 2010 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पहले ना था

ये मंजर इतना खामोश सा पहले ना था तू मेरे पास हो के भी दूर इतना ना था हर तरफ खुशियाँ ही खुशियाँ हैं, मगर दिल में ये सूनापन पहले ना था. तुम्हे याद कर दिल की कली खिल सी उठती थी आज दिल पे छाया है गुबार, पहले ना था. करार के इंतज़ार में काटी एक उम्र मैंने, करार पा बे-करार सा पहले ना था. उम्मीद का सुर्ख दामन थाम्हे जी रहा था मैं, मेरी उम्मीदों का दामन ज़र्द सा पहले ना था. तन्हाईयों में भी कभी तन्हा सा नहीं था मैं, अपना हो कर भी तू बेगानों सा, पहले ना था. यूँही कही से आ मुस्कराहट लपेट लेती थी मुझे खामोश सा अपना मिजाज़ पहले ना था. ये मंजर इतना खामोश सा पहले ना था तू मेरे पास हो के भी दूर इतना ना था