नम रातों में
चांदनी ओढ़े
चेहरे पर गेसू बिखेरे,
ओ टीला, उस नदी के तीरे,
प्रिये, तुम फिर से आ जाना।
चाँद पर जब बदली छाये,
चांदनी रात स्याह हो जाये,
बरखा जब बूंदें बिखराए
आँखों में लिए नीर, दिल में प्यार उमडाये..
तुम मेरा दरवाजा खटकना,
प्रिये, तुम फिर से आ जाना।
उदासी जब घिर-२ के आये,
बेताबी में नींद उड़ जाये,
खिड़की खोल, तारों को देख,
मंद-२ मुस्का,खुद से बतियाना,
प्रिये, तुम फिर से आ जाना।
तन्हाई जब ले अंगड़ाई,
खिले कोई कलि, महके अंगनाई,
सताए तुम्हे जब चंचला पुरवाई,
लिपट तकिये से तुम फिर अलसाना,
प्रिये, तुम फिर से आ जाना।
खग जब नभ में छेड़े सुर,
खनके जब पैरों में नुपुर,
बिखरे जब साँझ किरण,
छत पे आ फिर से ललचाना,
प्रिये, तुम फिर से आ जाना।
कूके कोयल, रागिनी गाये,
तन-मन की सुध बिसराए,
तुम मेरी आगोश में आना,
प्रिये, तुम फिर से आ जाना।
पतझड़ में पत्ते मुरझाये,
मन-पावन मलिन हो जाये,
दबे पाँव, बन के बसंत,
मेरी फुलवारी महकाना,
प्रिये, तुम फिर से आ जाना।
मौसम की पहली बारिश में,
चंचल मन चपल हो जाये,
जब भीगे चितवन ये तेरा,
उलझे बालों को सुलझाना,
प्रिये, तुम फिर से आ जाना.....
प्रिये, तुम फिर से आ जाना.....
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