न थकन, न चुभन
न शोक, न आह्लाद,
बस चिंतन-मनन कर रहा हूँ.
न विघटन, न विखंडन,
न प्रतिकार,न चित्कार,
बस भावनाओं का दमन कर रहा हूँ.
न शिशिर,न बसंत,
न शीत. न हेमंत,
बस नम आँखों से नमन कर रहा हूँ.
न संशय, न विस्मय
न चिंगारी, न अंगारे
बस दिवा-स्वप्नों का दहन कर रहा हूँ.
न आग, न धुँआ
न कथ, न अकथ
बस मन के उन्मादों का हवन कर रहा हूँ.
न शोक, न आह्लाद,
बस चिंतन-मनन कर रहा हूँ.
न विघटन, न विखंडन,
न प्रतिकार,न चित्कार,
बस भावनाओं का दमन कर रहा हूँ.
न शिशिर,न बसंत,
न शीत. न हेमंत,
बस नम आँखों से नमन कर रहा हूँ.
न संशय, न विस्मय
न चिंगारी, न अंगारे
बस दिवा-स्वप्नों का दहन कर रहा हूँ.
न आग, न धुँआ
न कथ, न अकथ
बस मन के उन्मादों का हवन कर रहा हूँ.
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नीरज