थोड़ी लज्जित हैं यह आँखें,
कुछ बोझ सा होता है पलकों पर!
झुकी-2 सी ,
दबी -2 सी रहती हैं,
बोझिल पलकें मेरी!
नज़रें नहीं मिला पता हूँ किसी
महिला की नज़रों से.....
दिल में चोर सा बैठा है एक
‘मर्द’
जो शर्मिंदा है.... लज्जित
है....
अपने मर्द होने पर!!!!!!!
टिप्पणियाँ
अनु
utsahvardhan aur blog par aane ke lye abhar