लड़ाई हुई थी अपनी आँखों की,
पहली मुलाक़ात पर,
वह बूढ़ा सा बस स्टैंड, मुस्कुराया था
देख हमें,
जाने कितनी बार मिले थे हम वहाँ,
जाने कितने मिले होंगे वहाँ हम जैसे,
वह शब्दों की पहली जिरह,
या अपने लबों की पहली लड़ाई,
सब देखा था उसने, सब सुना था,
चुपचाप, खामोशी से, बोला कुछ नहीं।
कहा नहीं किसी से, कभी नहीं।
कितनी बार तुम्हारे इंतज़ार में, बैठा घंटों,
जब तुमने आते-2 देर कर दी।
जब कभी नाराज़ हो मुझे छोड़ चली गयी तुम,
कई पहर, उंगली थामे उसकी, गोद में बैठा
रहा उसके।
उसके कंधे पर सर रख के।
याद है वहीं कहीं गुमा दिया था तुमने दिल
मेरा,
हंसा था मेरी बेबसी पर वह,
अब वह बूढ़ा स्टैंड वहाँ नहीं रहता,
कोई fly
over गुजरता है वहाँ से
देखा था, जब आया था तुम्हारे शहर पिछली बार।
कहीं चला गया होगा वह जगह छोड़,
उस बदलाव के उस दौर में, जब सब बदले थे,
मैं,
तुम और हमारी दुनियाँ !
अब जो सलामत है वह बस यादें हैं,
और कुछ मुट्ठी गुजरा हुआ कल,
याद आता है वह दिन, जब तुम्हारा दिल रखने को
तुम्हारे नए जूतों की तारीफ की थी, उसी
स्टैंड के तले,
तुम्हारे बनावटी गुस्से और उस घूसे का गवाह
भी बना था वह,
कहा था तुमने, मेरे दिल की हर बात
चेहरे से बयां होती है,
चुगलखोर चेहरा मेरा, मेरे दिल का हर
राज़ खोल देता है।
मुस्कुराया था, वह बूढ़ा स्टैंड, मेरे नाकाम झूठ,
और तुम्हारे बात पर।
क्या होता अगर वह बूढ़ा होता वहाँ आज भी?
गर कभी गुजरते वहाँ से तुम तो जरूर कहता
तुमसे,
जाने के बाद भी तुम्हारे, कई बार आया था, तुम्हें ढूँढने
को,
जाते-2 कुछ खरोचें छोड़ गए थे दिल पर मेरे,
झाँकती हैं वह खरोचें चेहरे से मेरे,
बयां करती हैं दिल के ख़राशों को,
मुस्कुराऊं मैं तब भी,
चुगलखोर चेहरा मेरा, मेरे दिल का हर
राज़ खोल देता है,
अब भी।
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