साहिल अब भी वहीं खड़ा मुस्कुरा रहा था,
जब उतावली सी उस लहर ने साहिल को भिगाया था.
साहिल खामोश...
लहर पलटी और गुस्से से साहिल को एक और टक्कर मारा..
और खुद ही साहिल के पत्थरों में उलझ कर रह गई..
मानो साहिल की बांहों में बिखर सी गई हो ..
"आखिर तुम चाहते क्या हो?"साहिल की बाँहों से सरकती लहर ने पूछा..
प्रत्योतर ख़ामोशी...
"जब मैं दूर होती तो तुम पर प्यार सा आता है,
पास आती हूँ तो नफरत सी होती है तुमसे..
क्यों खिची चली आती हूँ तुम्हारी ओर मैं...
क्यों ? "
कुछ कहना चाहता था साहिल, लब खोले भी..
पर हमेशा की तरह उसकी आवाज़ लहरों के शोर में कहीं गुम हो कर रह गई..
ये समंदर की लहरे कभी चुप हो तब तो साहिल की बात सुने..
उदास सी लहर वापस जा रही थी ...सोचती ..
कितना भी भागे ,उसे वापस आना ही था ..
साहिल को चूमे बिना भी नहीं रहा जाता उसमे ...
साहिल की बाहों मे बिखर .उसे पूर्णता का एहसास होता है ...
और साथ ही साथ अपनी लघुता का भी...
इधर..
साहिल एक तक लहर के वापसी का इंतज़ार करने लगा..
दोनों ही जाने थे, एक दुसरे के बिना वो अधूरे हैं..
अस्तित्वहीन से..
प्रेम की इस अद्भुत परकाष्ठा को देख दूर ..
असमा में बैठा चाँद मुस्कुरा रहा था...
इस अनोखे प्यार को उससे अच्छा कौन समझता था?
चाँद को दोनों उस जिद्दी प्रेमी युगल की भांति नज़र आते
जो युगों-युगांतर से अपनी-२ जिद पर अड़े हुए हैं..
लहरें साहिल को अपनी आगोश में भर लेना चाहती हैं,
तो साहिल उन्हें अपनी बाजुओं में समेट लेना चाहता है,
दोनों न एक दुसरे के साथ रह पाते हैं और नहीं
एक दुसरे से दूर...
बस एक दुसरे की आदत सी हो गयी है उन्हें..
चाँद ने हवा के कान में कुछ कहा,
हवा ने अपने झोंकों को एक-२ कर खोलना शुरू किया..
चाँद अपने शबाब पर आया..
लहरों ने साहिल पर धावा सा बोल दिया ..
साहिल ने अपनी बाहें फैला दी...
हवा मुस्कुराई.. चाँद मुस्कुराया...
आज पूनम की रात है...
कुछ पल के लिए ही सही, ये दो प्रेमी एक दुसरे के सबसे करीब होंगे आज..
चाँद बादलों पर अपनी चाँदी सी स्याही से, दुनिया के सबसे पुराने प्रेमियों की
एक और मिलन गाथा लिखने लगा.....
टिप्पणियाँ
भावमय करते शब्दों के साथ गजब का लेखन ...आभार ।
हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
http://sanjaybhaskar.blogspot.com