१) शाम की लालिमा ओढ़े विशाल व्योम को देखा,
रात को जलते बुझते जुगनू से कुछ सपने,
अब आसमान छोटा और सपने बड़े लगते हैं मुझे!
कहते हैं वो बहुत सुरीला था कभी,
पर लोग अब उसे कश्मीर कहते हैं...
उसके एक इशारे पर हवाएं अपना रुख बदल लेती थी,
सुना है कल अपन घर जला बैठी है वो....
४) बहुत ऊँचा उड़ाती थी वो,
आसमान में सुराख़ कर आई,
सुना है उस सुराख़ से खून टपकात है उसका....
टिप्पणियाँ
कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
http://charchamanch.blogspot.com/
यहाँ भी आयें .
आसमान में सुराख़ कर आई,
सुना है उस सुराख़ से खून टपकात है उसका....
झंझोड़ गयीं अंदर तक सब क्षणिकाएँ ... बहुत कमाल कालिखा है ...