कौन था वह
जिसने पहली कविता लिखी ....
कोई
योगी....या कोई वियोगी.....
किसने पहला
गीत लिखा?
क्या ख्याल
आया था उस कवि मन में उस रोज ....
जब वह कुछ
शब्दों से एक चेहरा उकेर रहा था....
लिखने का
ख्याल आया कैसे उस मन में?
कहीं ‘तुम्हारे’ बारे में तो नहीं सोच रहा था वह?
या कहीं , किसी
रोज ,
एक छत पर आधी
रात गए... तारे गिनते वक़्त .....
तुमने उसका
हाथ थामा था...
घंटों गुफ्तगू
की....
कुछ कहा...
कुछ सुना....
आइसक्रीम
खाते-2 तुमने अपने चेहरे पर गिर आई
स्याह सी
ज़ुल्फें हटायी......
मुस्कुराते
हुये उस ‘पागल’ ने देखा था तुम्हें....
फिर सुबह होते
ही किसी पत्ते ...... किसी पत्थर पर
‘तुम्हें’ लिखा होगा.....
सोचता हूँ
अक्सर मैं.... शायद ऐसे ही कहीं, किसी रोज, दुनिया
के किसी कोने
में कोई कविता जन्मी होगी ... कोई गीत उपजा होगा...
राहुल रंजन
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