कल ही की तो बात है....
फूँक मार मोमबत्ती बुझाई
केक कटा, गीत गए गए
सब ने तालियाँ बजाई...
मोमबत्ती का धुआँ बुझा भी नहीं,
कि एक और जा जुड़ी केक से,
फिर एक और बढ़ी.....
और... फिर और.....
अब गिनती नहीं करता बस फूँक मार बुझा देता हूँ....
कल ही की तो बात है,
जब पिछली शाम दोस्तों ने पार्टी दी थी ....
और मैंने केक काटा था...
कल फिर वही दिन है ... फिर मोमबत्तियाँ बुझेंगी...
कल ही की तो बात है जैसे...
जब माँ ने मेरे चेहरे पे उग आए
बालों को देख कहा ... बेटा बड़ा हो गया...
और शरमा के आईने से नज़रें हटाई थी मैंने ...
आज सामना हुआ आईने से,
लगा शक्ल बदल सी गयी है कुछ,
काले बालों मे एक सफ़ेद चोर छुपा बैठा मिला...
दाढ़ी कल ही तो आनी शुरू हुई थी
सफेदी की मिलावट वहाँ भी चालू है...
कल ही की तो बात है जब माँ ने मेरी उंगली थामे कहा था
बेटा वक़्त के पाँव नहीं होते
पर वो गुजर जाता है.....
राहुल रंजन
31 जनवरी 2012
टिप्पणियाँ
i nevr knew u could write ..and acha hi likh lete ho ;)